बच्चों की रात की कहानियां : Children’s Night Stories

बच्चों की रात की कहानियां न केवल मनोरंजन का साधन हैं, बल्कि वे बच्चों को नैतिक मूल्य, जीवन के सबक और सकारात्मक सोच सिखाने का एक शानदार तरीका भी हैं। ये कहानियाँ बच्चों के दिमाग में गहरी छाप छोड़ती हैं और उन्हें प्रेरित करती हैं कि वे अपने जीवन में सही निर्णय लें। 

इस लेख में हम पांच ऐसी प्रेरणादायक कहानियों को प्रस्तुत करेंगे, जो बच्चों को एकता, दृढ़ता, समानता, पिता के महत्व और अटूट विश्वास जैसे मूल्यों को सिखाती हैं। 

ये कहानियाँ न केवल बच्चों के लिए बल्कि बड़ों के लिए भी प्रेरणास्रोत हैं। आइए, इन कहानियों के माध्यम से जीवन के महत्वपूर्ण सबक सीखें।

1. एकता में बल होता हैं: कैदी रहीम और जेलर की कहानी

एकता में बल होता हैं कैदी रहीम और जेलर की कहानी

एक समय की बात है, एक छोटे से शहर की जेल में रहीम नाम का एक कैदी बंद था। रहीम न केवल बुद्धिमान था, बल्कि उसकी बातों में इतना दम था कि जेल के अन्य कैदी उसका बहुत सम्मान करते थे। उसकी समझदारी और नेतृत्व क्षमता ने उसे सभी का प्रिय बना दिया था। एक दिन जेलर ने घोषणा की कि वह कैदियों के बीच एक अनोखी प्रतियोगिता आयोजित करने जा रहा है। इस प्रतियोगिता का इनाम था एक दिन की पिकनिक और कुछ विशेष पुरस्कार।

सभी कैदी इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए उत्साहित थे। अगले दिन सुबह, जेलर सभी कैदियों को एक खुले मैदान में ले गया। वहाँ उसने कैदियों को दो समूहों में बाँट दिया—टीम “अ” और टीम “ब”। मैदान के एक कोने में ढेर सारी ईंटें रखी थीं, और जेलर ने कहा, “जो टीम इन ईंटों को मैदान के दूसरे छोर तक सबसे जल्दी ले जाएगी, वही विजेता होगी।”

दोनों टीमें जोश के साथ काम में जुट गईं। हर कैदी एक-एक ईंट उठाकर दूसरे छोर तक ले जा रहा था। यह काम थकाऊ था, लेकिन टीम “ब” ने तेजी दिखाते हुए अपनी ईंटें पहले स्थान पर पहुँचा दीं और पहला चरण जीत लिया। लेकिन जेलर ने खेल को और रोमांचक बनाया। उसने कहा, “अब इन सभी ईंटों को वापस उसी स्थान पर ले जाना है।” कैदी पहले ही थक चुके थे, और यह नया आदेश सुनकर वे निराश हो गए। फिर भी, दोनों टीमों ने हिम्मत जुटाई और ईंटों को वापस ले जाना शुरू किया।

जब जेलर ने तीसरी बार कहा कि ईंटों को फिर से दूसरी तरफ ले जाना है, तो टीम “ब” ने हार मान ली। लेकिन रहीम, जो टीम “अ” में था, ने अपने दिमाग का इस्तेमाल किया। उसने सोचा कि जेलर शायद उनकी एकता और बुद्धिमानी की परीक्षा ले रहा है। उसने अपनी टीम को एक नया तरीका सुझाया। 

उसने सभी को एक लाइन में खड़ा कर दिया और कहा, “हम एक-दूसरे को ईंटें पास करेंगे, जैसे एक चेन बनाकर।” इस तरह, एक कैदी ने ईंट उठाई और अगले को दी, और इस तरह ईंटें तेजी से और बिना ज्यादा थकान के एक छोर से दूसरे छोर तक पहुँच गईं।

जब जेलर ने फिर से ईंटों को वापस ले जाने का आदेश दिया, तो रहीम की टीम ने उसी रणनीति का उपयोग किया। उनकी यह चतुराई और एकता देखकर जेलर प्रभावित हुआ और उसने टीम “अ” को विजेता घोषित किया। उसने अपने वादे के अनुसार उन्हें पिकनिक पर ले गया और पुरस्कार भी दिए।

नैतिक सीख: एकता में बल होता है। जब हम मिलकर काम करते हैं और अपनी बुद्धि का उपयोग करते हैं, तो कोई भी काम असंभव नहीं रहता। यह कहानी बच्चों को सिखाती है कि teamwork और सहयोग से बड़ी से बड़ी चुनौतियों को आसानी से पार किया जा सकता है।

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2. कभी हार न मानना: बहरे मेंढक की कहानी

कभी हार न मानना बहरे मेंढक की कहानी

एक घने जंगल में दो मेंढक रहते थे, जो बहुत अच्छे दोस्त थे। वे हमेशा एक साथ खेलते, कूदते और मस्ती करते। एक दिन, खेलते-खेलते वे दोनों एक गहरे गड्ढे में गिर गए। गड्ढा इतना गहरा था कि वे बाहर नहीं निकल पा रहे थे। उनकी चीख-पुकार सुनकर जंगल के कुछ अन्य मेंढक वहाँ इकट्ठा हो गए। गड्ढे की गहराई देखकर बाकी मेंढकों ने कहा, “तुम दोनों अब कभी बाहर नहीं निकल पाओगे। यह गड्ढा बहुत गहरा है। कोशिश करना बेकार है। हम तुम्हें ऊपर से खाना-पानी दे देंगे।”

पहला मेंढक इन बातों से निराश हो गया। उसने सोचना शुरू कर दिया कि उसका अंत नजदीक है और कोशिश करना बेकार है। लेकिन दूसरा मेंढक, जो बहरा था, इन बातों को सुन नहीं पाया। वह हर दिन गड्ढे से निकलने की कोशिश करता। बार-बार वह ऊपर चढ़ता और गिर जाता, लेकिन उसने हार नहीं मानी। पहला मेंढक उसे रोकने की कोशिश करता और कहता, “यह असंभव है, कोशिश मत कर।” लेकिन दूसरा मेंढक सुन नहीं पाता था, इसलिए वह अपनी कोशिशें जारी रखता।

धीरे-धीरे दूसरा मेंढक हर दिन थोड़ा और ऊपर चढ़ने लगा। उधर, पहला मेंढक निराशा और चिंता में डूबकर कमजोर हो गया। वह केवल दिए गए खाने पर निर्भर रहता और अंततः उसकी मृत्यु हो गई। लेकिन दूसरे मेंढक ने अपनी कोशिशें और तेज कर दीं। उसने सोचा, “मुझे अब और मेहनत करनी होगी।” आखिरकार, एक दिन उसने अपनी पूरी ताकत लगाई और गड्ढे से बाहर निकल आया।

जब वह बाहर आया, तो अन्य मेंढकों ने इशारों से पूछा, “तुम इतने गहरे गड्ढे से कैसे निकल आए? हम तो चिल्ला-चिल्लाकर कह रहे थे कि यह असंभव है।” बहरे मेंढक ने इशारों में जवाब दिया, “मुझे लगा कि आप मुझे प्रोत्साहित कर रहे थे। क्योंकि मैं सुन नहीं सकता, मैंने सोचा कि आप मुझे हौसला दे रहे हैं।”

नैतिक सीख: हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए। दूसरों की नकारात्मक बातों पर ध्यान देने के बजाय, अपने लक्ष्य पर विश्वास रखकर मेहनत करते रहना चाहिए। यह कहानी बच्चों को सिखाती है कि दृढ़ता और आत्मविश्वास से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।

3. सब एक समान हैं: गरीब और अमीर बच्चों की कहानी

सब एक समान हैं गरीब और अमीर बच्चों की कहानी

एक छोटे से शहर के स्कूल में मोहन नाम का एक लड़का पढ़ता था। वह बहुत बुद्धिमान और मेहनती था। उसके माता-पिता गरीब थे, लेकिन उन्होंने उसे न केवल स्कूली शिक्षा दी, बल्कि घर पर व्यवहारिक और नैतिक शिक्षा भी दी। एक दिन स्कूल में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसमें मोहन और कुछ अमीर परिवारों के बच्चे हिस्सा ले रहे थे।

कार्यक्रम की तैयारी के दौरान, जब सभी बच्चे स्टेज के पीछे अपने किरदार के लिए तैयार हो रहे थे, एक अमीर लड़के ने मोहन का मजाक उड़ाया। उसने कहा, “तुम्हारी क्या औकात है जो हमारे साथ इस कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे हो? तुम्हारे कपड़े तो फटे-पुराने हैं।” उसके दोस्तों ने भी मोहन पर हँसना शुरू कर दिया। यह सब एक शिक्षक ने देख लिया। वह बच्चों के पास गया और उन्हें समझाने लगा।

शिक्षक ने कहा, “यहाँ गरीबी और अमीरी का कोई सवाल नहीं है। आप सभी इस स्कूल में एक समान हैं। आपका काम दर्शकों का मनोरंजन करना और उन्हें खुशी देना है, न कि अपने कपड़ों या बाहरी दिखावे का प्रदर्शन करना। मोहन आप सभी के साथ पढ़ता है, वही किताबें पढ़ता है, और वही शिक्षक उसे पढ़ाते हैं जो आपको पढ़ाते हैं। फिर यह भेदभाव क्यों?”

शिक्षक की बात बच्चों के दिल को छू गई। जब कार्यक्रम शुरू हुआ, तो मोहन ने अपने किरदार को इतने शानदार तरीके से निभाया कि दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। उसकी प्रस्तुति को सबसे ज्यादा सराहना मिली, और उसे सर्वश्रेष्ठ किरदार के लिए पुरस्कार भी दिया गया। कार्यक्रम के बाद, वे बच्चे जो मोहन का मजाक उड़ा रहे थे, उसके पास आए और अपने व्यवहार के लिए माफी मांगी।

नैतिक सीख: जीवन में बाहरी दिखावा महत्वपूर्ण नहीं है। असली मूल्य उस गुण में है जो दूसरों के चेहरों पर मुस्कान लाता है। यह कहानी बच्चों को सिखाती है कि सभी इंसान समान हैं और हमें किसी को उनके कपड़ों या आर्थिक स्थिति के आधार पर नहीं आंकना चाहिए।

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4. पिता की छाया: लकड़हारा और उसके बच्चे की कहानी

पिता की छाया लकड़हारा और उसके बच्चे की कहानी

मीतपुर नाम के एक गाँव में एक लकड़हारा रहता था। वह जंगल से लकड़ियाँ काटता और उन्हें बाजार में बेचकर अपने परिवार का पालन-पोषण करता था। उसकी पत्नी और उसका बेटा प्रेम, जो बहुत बुद्धिमान और पढ़ाई में तेज था, उसके साथ रहते थे। प्रेम स्कूल से आने के बाद भी घर पर खूब मेहनत से पढ़ाई करता था। लकड़हारा और उसकी पत्नी अपने बेटे की लगन देखकर बहुत खुश थे और चाहते थे कि वह एक दिन बड़ा अधिकारी बने।

लकड़हारा कभी भी प्रेम को अपने काम में शामिल नहीं करता था, क्योंकि वह चाहता था कि उसका बेटा केवल पढ़ाई पर ध्यान दे। जैसे-जैसे प्रेम बड़ा हुआ, वह और भी बुद्धिमान और चतुर होता गया। उसके माता-पिता को विश्वास था कि वह एक दिन उनका नाम रोशन करेगा। कुछ साल बाद, प्रेम ने अपनी पढ़ाई पूरी की और एक बड़े शहर में अधिकारी बन गया।

एक दिन लकड़हारा अपने बेटे से मिलने उसके कार्यालय गया। वहाँ उसने देखा कि प्रेम कुर्सी पर बैठा काम कर रहा है। लकड़हारा ने प्रेम के कंधों पर हाथ रखकर पूछा, “बेटा, नौकरी कैसी चल रही है?” प्रेम ने गर्व से अपने पिता को अपनी उपलब्धियाँ बताईं। फिर लकड़हारे ने एक गहरा सवाल पूछा, “बेटा, इस दुनिया में सबसे महान इंसान कौन है?” प्रेम ने तुरंत जवाब दिया, “मैं।”

लकड़हारा यह सुनकर हैरान रह गया। उसे अपने बेटे से ऐसी उम्मीद नहीं थी। वह सोचने लगा कि उसने इतनी मेहनत से प्रेम को पढ़ाया, बड़ा किया, और आज वह खुद को सबसे महान बता रहा है। निराश होकर वह जाने लगा, लेकिन रुककर उसने दोबारा वही सवाल पूछा। इस बार प्रेम ने मुस्कुराते हुए कहा, “पिताजी, आप।” लकड़हारा भ्रमित हो गया और बोला, “तुमने तो पहले कहा था कि तुम सबसे महान हो।”

प्रेम ने जवाब दिया, “पिताजी, जब आपने पहली बार यह सवाल पूछा, तब आपके हाथ मेरे कंधों पर थे। उस पल में मैंने महसूस किया कि जिस पिता का सहारा मेरे साथ है, उससे महान कोई नहीं हो सकता। इसलिए मैंने खुद को सबसे महान कहा। लेकिन असल में आप ही सबसे महान हैं, क्योंकि आपने मुझे यह मुकाम हासिल करने की ताकत दी।” यह सुनकर लकड़हारा भावुक हो गया और अपने बेटे को गले लगा लिया।

नैतिक सीख: एक पिता की छाया और मार्गदर्शन बच्चे को किसी भी ऊँचाई तक ले जा सकता है। यह कहानी बच्चों को सिखाती है कि माता-पिता का योगदान और समर्थन जीवन में सबसे महत्वपूर्ण होता है।

5. अटूट विश्वास: बच्चा और बारिश की कहानी

अटूट विश्वास बच्चा और बारिश की कहानी

लोकपुर नाम के एक गाँव में एक बार भयंकर सूखा पड़ गया। खेत, नदियाँ, तालाब और कुएँ सब सूख गए। गाँव वालों को पानी की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा था। एक दिन सभी गाँव वाले इकट्ठा हुए और पानी की इस समस्या का समाधान ढूंढने लगे। तभी किसी ने गाँव के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति, रामदास, का नाम लिया। सभी ने फैसला किया कि वे रामदास से सलाह लेंगे।

रामदास ने गाँव वालों की बात सुनी और कहा, “मुझे एक ऐसे व्यक्ति के बारे में पता है जो इस समस्या का समाधान कर सकता है।” उन्होंने एक दूर के गाँव में रहने वाले व्यक्ति का नाम बताया और कहा, “उसके पास जाओ और अपनी समस्या बताओ। मुझे पूरा विश्वास है कि बारिश होगी।” गाँव वाले उस व्यक्ति के पास गए। वह व्यक्ति उस समय अपने घर में पूजा कर रहा था, इसलिए सभी बाहर उसका इंतजार करने लगे।

इंतजार के दौरान, गाँव वालों की नजर एक छोटे से लड़के पर पड़ी, जो अपने साथ एक छाता लेकर आया था। सभी ने उससे पूछा, “तुम छाता क्यों लाए हो?” लड़के ने मासूमियत से जवाब दिया, “जब बारिश होगी, तो मैं भीगना नहीं चाहता, इसलिए छाता लाया हूँ।” उसकी बात सुनकर सभी हैरान रह गए। उनका मन गाँव की समस्या से भरा था, लेकिन इस बच्चे का विश्वास इतना अटूट था कि उसने बारिश होने की पूरी उम्मीद कर रखी थी।

बाद में उस व्यक्ति ने पूजा पूरी की और गाँव वालों को कुछ उपाय बताए। आश्चर्यजनक रूप से, कुछ ही दिनों में गाँव में बारिश हुई, और सभी की समस्या हल हो गई। बच्चे का वह अटूट विश्वास गाँव वालों के लिए एक सबक बन गया।

नैतिक सीख: हमारा विश्वास हमें किसी भी परिस्थिति में डटकर मुकाबला करने की ताकत देता है। यह कहानी बच्चों को सिखाती है कि सकारात्मक सोच और विश्वास के साथ कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।

Final Thoughts

ये पांच कहानियाँ बच्चों के लिए न केवल मनोरंजन का साधन हैं, बल्कि वे उन्हें जीवन के महत्वपूर्ण मूल्यों को समझाने में भी मदद करती हैं। एकता, दृढ़ता, समानता, माता-पिता का सम्मान, और अटूट विश्वास जैसे गुण बच्चों को न केवल बेहतर इंसान बनाते हैं, बल्कि उन्हें जीवन की चुनौतियों का सामना करने की ताकत भी देते हैं। ये कहानियाँ बच्चों को प्रेरित करती हैं कि वे हमेशा सकारात्मक रहें, दूसरों का सम्मान करें, और अपने लक्ष्यों के प्रति मेहनत करते रहें।

इन कहानियों को रात में बच्चों को सुनाने से न केवल उनकी नींद अच्छी आती है, बल्कि उनके दिमाग में सकारात्मक विचार भी आते हैं। ये कहानियाँ नन्हे मुन्नों को नैतिकता, सहानुभूति और आत्मविश्वास जैसे गुणों से परिचित कराती हैं, जो उनके भविष्य को उज्ज्वल बनाने में मदद करते हैं।

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